निखिल हमेशा हँसता रहता था — औरों को हँसाना जैसे उसका शौक था। ऑफिस में, दोस्तों के बीच, हर जगह उसकी हँसी गूंजती थी। सब कहते थे, “निखिल जहां जाता है, माहौल हल्का हो जाता है।” लेकिन इस मुस्कुराहट के पीछे, एक सन्नाटा था — कोई लड़की उसकी ज़िंदगी में नहीं थी। कई लड़कियाँ उसे पसंद करती थीं, कुछ ने तो प्रस्ताव भी दिया था, मगर निखिल हर बार मुस्कुराकर मना कर देता। उसे लगता था, “अभी ज़िंदगी में प्यार की नहीं, खुद को समझने की ज़रूरत है।” वो अपनी माँ के बहुत करीब था। ऑफिस से लौटकर वही उसका सुकून था — माँ की बातें, घर का सादा खाना, और फिर थोड़ा काम। सब कुछ ठीक चल रहा था… जब तक कि एक दिन उसके बॉस ने घोषणा नहीं की — “सभी लोग एक एडवेंचर ट्रिप पर जा रहे हैं! दूसरी कंपनी के लोग भी साथ होंगे।” रात के नौ बजे बस चली। निखिल अपने दोस्तों के साथ हँसते-खिलखिलाते सफर का मज़ा ले रहा था। तभी उसकी नज़र बगल की सीट पर बैठी एक लड़की पर पड़ी — कानों में इयरफोन, आँखों में गहराई, चेहरा शांत। वो थी जिया। निखिल की नज़र बार-बार उसकी तरफ चली जाती। मौका मिलते ही उसने बात शुरू की — उसका इयरफोन नीचे गिरा, जिया ने उठ...