Skip to main content

तुम मिले इस सफर में




निखिल हमेशा हँसता रहता था — औरों को हँसाना जैसे उसका शौक था।
ऑफिस में, दोस्तों के बीच, हर जगह उसकी हँसी गूंजती थी। सब कहते थे, “निखिल जहां जाता है, माहौल हल्का हो जाता है।”
लेकिन इस मुस्कुराहट के पीछे, एक सन्नाटा था — कोई लड़की उसकी ज़िंदगी में नहीं थी। कई लड़कियाँ उसे पसंद करती थीं, कुछ ने तो प्रस्ताव भी दिया था, मगर निखिल हर बार मुस्कुराकर मना कर देता।
उसे लगता था, “अभी ज़िंदगी में प्यार की नहीं, खुद को समझने की ज़रूरत है।”

वो अपनी माँ के बहुत करीब था। ऑफिस से लौटकर वही उसका सुकून था — माँ की बातें, घर का सादा खाना, और फिर थोड़ा काम।
सब कुछ ठीक चल रहा था… जब तक कि एक दिन उसके बॉस ने घोषणा नहीं की —
“सभी लोग एक एडवेंचर ट्रिप पर जा रहे हैं! दूसरी कंपनी के लोग भी साथ होंगे।”

रात के नौ बजे बस चली।
निखिल अपने दोस्तों के साथ हँसते-खिलखिलाते सफर का मज़ा ले रहा था। तभी उसकी नज़र बगल की सीट पर बैठी एक लड़की पर पड़ी — कानों में इयरफोन, आँखों में गहराई, चेहरा शांत।
वो थी जिया।

निखिल की नज़र बार-बार उसकी तरफ चली जाती। मौका मिलते ही उसने बात शुरू की —
उसका इयरफोन नीचे गिरा, जिया ने उठाकर मुस्कुराते हुए दिया।
“थैंक यू,” निखिल बोला।
“यू आर वेलकम,” जिया ने धीरे से कहा।

“आप किस कंपनी में हैं?”
“सीमेंस,” उसने छोटा सा जवाब दिया।

धीरे-धीरे बातें बढ़ीं।
“क्या आपको ट्रेकिंग पसंद है?”
“हाँ, पहाड़ों के बीच चलना मुझे बहुत अच्छा लगता है,” जिया ने कहा।
“और?”
“पढ़ना, पेंटिंग करना… ये मेरा सुकून है।”

निखिल मुस्कुराया, “वाह, दिल की बात रंगों में उतारना भी एक कला है।”
जिया हँस दी, “लगता है, आप भी पेंटिंग जानते हैं।”
“कॉलेज के दिनों में करता था, फिर काम के बीच कहीं छूट गया।”


---

सुबह बस रुकी। सामने फैले थे ऊँचे पहाड़, और नीचे बिछे थे बादल।
जिया की आँखों में चमक आ गई — जैसे कोई सपना सच हो गया हो।
निखिल ने देखा, उसे देखकर उसके दिल में एक अजीब सी शांति उतर आई।

ब्रेकफास्ट के वक्त वो फिर उसके पास जा बैठा।
“लगता है पहली बार आई हो ऐसी जगह?”
“हाँ, और ये नज़ारा मैं अपनी पेंटिंग में ज़रूर उतारूँगी,” जिया ने कहा।
“तब तो मैं वो पेंटिंग सबसे पहले देखना चाहूँगा,” निखिल ने मुस्कुराकर कहा।

ट्रेकिंग शुरू हुई। जिया को चढ़ाई में थोड़ी मुश्किल हो रही थी।
निखिल ने कहा, “आओ, मैं तुम्हारा हाथ पकड़ लेता हूँ।”
वो पल दोनों के दिलों में उतर गया — बस एक हाथ, लेकिन उसमें था भरोसा, अपनापन, और कुछ अनकहा सा एहसास।

रास्ते में दोनों बातें करते रहे — बचपन, माँ-बाप, दोस्त, सपने…
जिया को महसूस हुआ कि निखिल सिर्फ मज़ाकिया नहीं, अंदर से बहुत गहराई वाला इंसान है।


---

शाम को बोनफायर जला।
जिया ने सबके कहने पर गाना गाया — उसकी आवाज़ में जैसे जादू था।
निखिल उसे देखता रह गया।
दोस्तों ने कहा, “अब डांस करो!”
दोनों एक-दूसरे के करीब आए, और चाँदनी में झूमते रहे।

रात गहरी हुई।
सब सो गए, मगर जिया बाहर निकली — आसमान की ओर देखती हुई।
निखिल भी आ गया।
“नींद नहीं आ रही?”
“नहीं… सोच रही हूँ, ये पल फिर कब मिलेगा…”

निखिल बोला, “जब भी तुम चाहो, मैं तुम्हें ऐसी ही जगह घुमाने ले चलूँगा।”
जिया मुस्कुरा दी।

अचानक निखिल घुटनों पर बैठ गया।
“जिया, क्या तुम मेरी ज़िंदगी का वो हिस्सा बनोगी, जो कभी अधूरा ना लगे?”
जिया की आँखों में आँसू भर आए, पर होंठों पर मुस्कान थी।
“हाँ, निखिल… हाँ।”

चाँदनी में दो परछाइयाँ एक-दूसरे में घुल गईं —
और वहीं, उस पहाड़ी सफर में, दो ज़िंदगियों का नया सफर शुरू हो गया।


© 2025 Ankita Parkhad. All Rights Reserved.

No part of this story may be reproduced or transmitted in any form without written permission from the author.



Comments

Popular posts from this blog

Vipassana Meditation at a Glance

“The past is already gone, the future is not yet here. There’s only one moment for you to live.”- Gautam   Buddha   A small introduction Vipassana means to see things as they are. This is the most ancient meditation technique of India that was taught by Gautam Buddha 2000 years before. Through this meditation technique, Buddha (the Awakened One) achieved his enlightenment under the Bodhi tree in Bodhgaya, Bihar, Uttar Pradesh. A small history Vipassana teaching started by S.N Goenka in 1969. Now the dhamma messenger of modern times returned to India- it is the country where the vipassana first started and Buddha’s teachings were totally lost and ‘Vipassana’ was a foreign word. From 1969 to 1975, Vipassana courses were held across 11 Indian states and 37 towns and cities. How it works According to dhamma.org, it is an observation-based, self-exploratory journey that focuses on a deep interconnection between the mind and body, which is realized thr...

An Unknown Road

Nobody knows where I go I don't know either I only know I'm headed somewhere The word "somewhere" shapes the road ahead The more I walk, the more I create my path The more I create, the more clarity I gain The more clarity I have, the more calm I feel inside I experience inner peace Then, I need no outer confirmation No outer guidance No outer suggestions Only the road unfolding with me Creates the universe for me